नाथद्वारा से गोविन्द त्रिपाठी की रिपोर्ट
नाथद्वारा नगर के गोविंद चौक स्थित प्राचीन जलाशय गिरधर सागर में इन दिनों पानी का रंग लाल हो गया है और असंख्य मछलियों की मौत से पूरे क्षेत्र में दुर्गंध फैल गई है। जलाशय में सीवरेज का पानी मिल जाने और बढ़ते प्रदूषण के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। स्थानीय प्रशासन की अनदेखी से क्षेत्रवासियों में रोष है।
जलाशय में फैला प्रदूषण, मछलियों की हो रही मौत
स्थानीय निवासी बदल दवे ने बताया कि गिरधर सागर का पानी पहले बेहद शुद्ध था और इसमें गोल्ड फिश सहित कई प्रजातियों की मछलियां छोड़ी गई थीं। यहां बड़ी संख्या में लोग मछलियां देखने और नहाने आते थे। लेकिन अब जलाशय में सीवरेज का पानी मिल जाने से पानी लाल रंग का हो गया है और बड़ी संख्या में जलीय जीव मर गए हैं। मछलियों की मौत से पानी में तेज दुर्गंध फैल गई है, जिससे आसपास से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। स्थानीय निवासियों को भी इससे भारी परेशानी हो रही है।

संरक्षण की दरकार, प्रशासन उदासीन
स्थानीय लोगों का कहना है कि गिरधर सागर जैसे प्राचीन तालाबों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। तालाब के पास स्थित शिव मूर्ति सहित अन्य जगहों से आ रहे सीवरेज के पानी को रोकना जरूरी है, ताकि जलीय जीवन को बचाया जा सके।
गौरतलब है कि सरकार एक ओर करोड़ों रुपये खर्च कर ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ चला रही है, वहीं दूसरी ओर नगर के मध्य स्थित कुएं, बावड़ियों और प्राचीन सरोवरों की सफाई व संरक्षण पर स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि जलाशय में सीवरेज का पानी मिलना तत्काल रोका जाए, नियमित सफाई और जल संरक्षण की ठोस व्यवस्था की जाए, तभी गिरधर सागर जैसे ऐतिहासिक जलाशयों का अस्तित्व बचाया जा सकता है। साथ ही, प्रशासन को चाहिए कि वे स्थानीय नागरिकों की शिकायतों पर संज्ञान लें और त्वरित कार्रवाई करें।