10 से 5 प्रशिक्षण में दो संभागी, वह भी 2:00 तक
डूंगला। सरकारी नुमाइंदे सरकार की योजनाओं को कहां तक धरातल पर पहुंचाते हैं इसका जीता जागता उदाहरण देखिए डूंगला पंचायत समिति के सभागार में जहां राष्ट्रीय स्वराज अभियान के अंतर्गत क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए डूंगला पंचायत समिति सभागार में प्रातः 10 से 5 बजे तक प्रशिक्षण का आयोजन शुरू हुआ लेकिन हालात यह है कि प्रशिक्षण का समय 2:00 बजे तक भी नहीं पहुंचा और यहां पंचायत समिति के अन्य कार्मिकों की मीटिंग शुरू हो गई और सबसे अहम बात तो यह है कि सांय 4. 15 बजते बजते तो तहसीलदार गुणवंत माली की उपस्थिति में इसी सभागार में तीसरी आभा की मीटिंग शुरू हो गई तो आखिर वह प्रशिक्षण कहां गया और उसके प्रशिक्षणार्थी भी कहां गए।

शिविर प्रभारी को उपस्थिति तक का पता नहीं…
पंचायत समिति सभागार में चल रहे प्रशिक्षण में कितने प्रतिभागियों ने भाग लिया यह जानकारी इस शिविर के प्रभारी तक को नहीं थी। जब उनसे इस बारे में जानकारी ली गई तो वह पूरी जानकारी विकास अधिकारी से लेने की बात कही जिस पर विकास अधिकारी से जानकारी लेना चाहा तो उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं होना पाया सिर्फ यह बताया कि एक प्रशिक्षण चल रहा है लेकिन पूरी जानकारी नहीं।
विकास अधिकारी छुट्टी पर दोनों अतिरिक्त विकास अधिकारी बने ट्रेनर….
पंचायत समिति का दारमदार विकास अधिकारी पर होता है और जब वह छुट्टी पर या अन्य काम में हो तो उसकी जिम्मेदारी अतिरिक्त विकास अधिकारी के कंधों पर रहती है लेकिन पंचायत समिति के हालात यह है विकास अधिकारी के छुट्टी पर जाने के बाद दोनों ही अतिरिक्त विकास अधिकारियों ने पंचायत समिति सभागार में चल रहे एक संस्थान के प्रशिक्षण में ट्रेनर के रूप में अपनी उपस्थिति शुरू कर दी तो आखिर पंचायत समिति में अपने कार्यों को लेकर आने वाले लोगों को बेरंग लौटना पड़ा, ट्रेनर को प्रति ट्रेनर के हिसाब से 1500 रूपये का मानदेय प्रतिदिन का मिलता है क्या आखिर इस मानदेय के लिए ही अतिरिक्त विकास अधिकारी दोनों ट्रेनर बन गए।

प्रशिक्षण देने वाली संस्थान के प्रभारी यहां किस तरह का प्रशिक्षण चल रहा है इससे भी अनभिज्ञ रहे वह सिर्फ 10 से 5 बजे तक यहां रुकने की बात करते रहे। यहां आयोजित शिविर के प्रभारी व दोनों ही प्रशिक्षक मीडिया से बचते रहे। यहां पर चल रहे प्रशिक्षण का लिखित आदेश तक शिविर के प्रभारी के पास नहीं मिल पाया।
इस शिविर में कुल 56 प्रशिक्षणार्थियों का उपस्थिति होना था लेकिन उनमें से मात्र 2:00 बजे तक 15 प्रशिक्षणार्थी ही पहुंच पाए जबकि उन 15 को भी शिवर प्रभारी ने 30 का आंकड़ा बता दिया। फिर इस शिविर को किस तरह का सफलतम शिविर माना जाए या फिर इसे सरकार को चूना लगाने वाले आंकड़े एकत्र करने का काम माना जाए।
रिपोर्ट- प्रवीण कुमार मेहता