चरनोट भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप, आंगनवाड़ी रास्ता बंद – ग्रामीणों में आक्रोश

चित्तौड़गढ़ जिले की डूंगला तहसील के ग्राम नाड़ाखेड़ा में चरनोट भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर ग्रामवासियों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीण शंभुलाल सुथार ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया है कि गांव के ही निवासी प्रकाशनाथ द्वारा सरकारी चरनोट भूमि पर न केवल अवैध कब्जा करने की कोशिश की जा रही है, बल्कि वहां लगे हरे-भरे पेड़ों को काटकर आंगनवाड़ी केंद्र के पीछे जाने वाले मुख्य रास्ते को भी बंद कर दिया गया है।

शंभुलाल सुथार के अनुसार, यह जमीन गांव के मवेशियों के लिए आरक्षित चरनोट भूमि है जहां वे चारा चरते हैं और विश्राम करते हैं। इसी क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा संचालित एक आंगनवाड़ी केंद्र भी स्थित है, जिसमें बच्चों के लिए टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी हैं। लेकिन आरोप है कि प्रकाशनाथ ने उक्त जमीन पर मिट्टी डलवा दी है और वहां मकान निर्माण की तैयारी कर रहा है। इससे आंगनवाड़ी के पीछे स्थित सार्वजनिक ट्यूबवेल तक पहुंच बाधित हो गई है, जिससे गांव में पेयजल संकट खड़ा हो सकता है।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि कब्जाधारी द्वारा बनाए गए अवरोधों के कारण आसपास के खेत मालिकों और पशुपालकों को अपने खेतों और बाड़ों तक पहुंचने में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही गांव का गंदा पानी अब सही तरीके से नालियों से बाहर न जाकर इधर-उधर फैल रहा है, जिससे स्वच्छता की समस्या भी उत्पन्न हो गई है।

ग्रामीणों का आरोप है कि इस संबंध में पंचायत को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई। शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अविलंब तहसीलदार, एसडीएम एवं संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं, ताकि सार्वजनिक चरनोट भूमि को कब्जे से मुक्त कराया जा सके।

ग्रामीणों की ओर से यह भी मांग की गई है कि आंगनवाड़ी क्षेत्र को पुनः साफ-सुथरा कर बच्चों के खेलने के लिए उपयुक्त बनाया जाए और वहां छायादार वृक्षारोपण कराया जाए।

गांववासियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो यह मामला गांव में सामाजिक तनाव को जन्म दे सकता है। ग्रामीण प्रशासन से अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

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